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सोनू निगम को कर्नाटक हाई कोर्ट से मिली राहत, कन्नड़ भाषा विवाद में कोई सख्त कार्रवाई नहीं

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सोनू निगम का कन्नड़ भाषा विवाद

नेशनल अवॉर्ड विजेता गायक सोनू निगम हाल ही में कन्नड़ भाषा विवाद में फंस गए थे। यह विवाद बेंगलुरु में एक संगीत कार्यक्रम के दौरान शुरू हुआ, जहां उनके कुछ शब्दों से दर्शकों की भावनाएं आहत हुईं, जिसके चलते मामला अदालत तक पहुंच गया। सोनू निगम ने इस मामले में दर्ज एफआईआर के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। कर्नाटक हाईकोर्ट ने निर्देश दिया है कि जब तक वह जांच में सहयोग करते हैं, तब तक उनके खिलाफ कोई कठोर कार्रवाई नहीं की जाएगी।


हाई कोर्ट से मिली राहत

कर्नाटक उच्च न्यायालय ने सोनू निगम के खिलाफ एक मामले में अगली सुनवाई तक किसी भी दंडात्मक कार्रवाई पर रोक लगा दी है। यह मामला एक संगीत कार्यक्रम में उनकी कथित आपत्तिजनक टिप्पणी से संबंधित है। अदालत ने जांच अधिकारी को वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से गायक का बयान दर्ज करने की अनुमति दी है। यदि जांच अधिकारी व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने की मांग करते हैं, तो उन्हें निगम के पास जाकर बयान दर्ज करने की अनुमति है, जिसका खर्च गायक को उठाना होगा।


शिकायत का कारण

यह विवाद तब शुरू हुआ जब कुछ कन्नड़ भाषी दर्शकों ने सोनू निगम से कन्नड़ में गाने का अनुरोध किया। गायक ने इस अनुरोध के लहजे पर आपत्ति जताते हुए टिप्पणी की, 'इसी वजह से पहलगाम हुआ।' सुनवाई के दौरान, निगम के वकील ने कहा कि यह शिकायत केवल प्रचार के लिए की गई थी और यह आईपीसी की धारा 505 के तहत सार्वजनिक शरारत का अपराध नहीं बनता। हालांकि, राज्य के वकील ने कहा कि सोनू की टिप्पणियों की जांच में इरादे का पता लगाना आवश्यक है।


कोर्ट की टिप्पणियां

राज्य के वकील ने कहा कि जो व्यक्ति कानून की प्रक्रिया का सम्मान नहीं करता, उसे धारा 482 के तहत लाभ नहीं मिलना चाहिए। अदालत ने यह भी कहा कि यदि निगम का बयान वर्चुअल तरीके से या उनके घर पर दर्ज किया जा सकता है, तो यह गायक को 'बहुत अधिक सुविधा' देने जैसा होगा। अदालत ने कहा कि यदि निगम जांच में सहयोग करते हैं, तो कोई दंडात्मक कदम नहीं उठाया जाएगा और अगली सुनवाई की तारीख तक कोई अंतिम रिपोर्ट दाखिल करने पर रोक लगा दी गई।


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